सीएए पर हिंसक प्रदर्शन, आखिर क्यों?


दिसम्बर 2019, 9 और 11 तारीख, नागरिकता संशोधन बिल (अधिनियम) (Citizen Amendment Act or Bill caa or CAB) लोकसभा और राज्यसभा में पूर्ण बहुमत से पास हुआ, इस सत्र में, इस बिल को लेकर, पक्ष और विपक्ष में काफी बहस हुई, गृहमंत्री श्री अमित शाह ने विपक्ष के प्रश्नों के अच्छे और निर्णायात्मक ढंग से एक्ट की आवश्यकता के लिए उत्तर दिये, फिर भी  विपक्ष की राजनैतिक पार्टियों और विशेष धार्मिक दल व समाज को विभाजित करने वाली संस्थायें, बॉलीवुड के कुछ कीर्तिमान हस्तियाँ, विदेशी फंड से चलने वाली एनजीओ, भारत विरोधी विचार वाले, वामपंथी समर्थक, राजनीति फायदे लेने वाले, कट्टर इस्लामिक सोच वाले द्वारा इसका विरोध प्रदर्शन आंदोलन किया गया - आखिर क्यों?


भारत का अगस्त 1947 में धर्म के आधार पर दो हिस्सों में विभाजन हुआ, भारत और पाकिस्तान और पूर्वीय पाकिस्तान, पूर्वीय पाकिस्तान 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश के रूप में उदय हुआ, बाद में वहां की सरकारों द्वारा पाकिस्तान को 1977 में और बांग्लादेश को 1983 में इस्लामिक स्टेट बनाया गया दिया। इस तरह इसके बाद वहां इन देशों में अल्पसंख्यक धर्म के लोगों के साथ मानसिक और आर्थिक रूप से दुर्व्यवहार और प्रताडित करना शुरू हो गया, अफगानिस्तान के तालिबान में एक कट्टर संस्था ने हिन्दुओं और सिक्खों को वहां से निकाल दिया, परिणाम यह सभी अलपसंख्यक और कुछ मुसलमान गरीबी और बेरोजगारी के कारण, भारत में अवैध रूप से आये, वर्तमान में इनकी संख्या लगभग डेढ़ करोड़ है। अर्थात यह सभी गैरकानूनी नागरिक हैं। सामान्य रूप में, अंतर्राष्टÑीय नियमों द्वारा दूसरे देश जाना, काम करने से (Work visa), कारोबार के लिए बिजनेस परमिट वीजा (Business Permit Visa), पढाई तािा शिक्षा (Education Visa), या आप E migration Visa  से  जा सकते हें यह वैद्य तरीका है।


-  कई अपने देश में प्रताड़ित होने पर दूसरे देश में शणार्थी के रूप में जाते हैं और तत्पश्चात वहां रिफयूजी कैम्पों में रहते हैं।
- परन्तु जो लोग गैर कानूनी और चोरी छिपे दाखिल होकर, घुसपैठ करके आते हैं वहां उस देश में कोई रिकार्ड नही होता हैं।
इन्हीं सभी कारणों को नजर रखते हुए, भारत सरकार नागरिक संशोधन एक्ट लेकर आई और नियमानुसार सर्वसम्मति से पास किया गया।


इसके अन्तर्गत :-
1. सभी अल्पसंख्यक (हिन्दू, पारसी, सिक्ख, जैन, ईसाई, बौद्ध) जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफागानिस्तान से आये हैं सभी को नियमित किया जायेगा और भारतीय नागरिकता दी जायेगी और भारतीय की तरह जिंदगी जी पाये।
2. दूसरे सभी गैर कानूनी घुसपैठियों, शरणार्थियों को अपने अपने देश भेजा जायेगा।
3. इनमें जो लोग भारत में रहना चाहते हैं, सरकारी प्रतिक्रिया द्वारा नागरिकता दी जायेगी।
4. इस एक्ट को लागू होने से जो भारतीय मुसलमान पहले यहाँ रहते हैं उन्हें डर नहीं है क्योंकि वे पहले भारतीय नागरिक हैं।
यह प्रतिक्रिया एक अंतर्राष्टÑीय प्रतिक्रिया है, ताकि किसी भी देश में घुसपैठ, आतंकवाद, कट्टरवाद, बेरोजगारी तथा अन्य अमानवीय समस्यायें और लोगों की कठिनाईयों को रोक सके।


अब विडम्बना यह है कि देश में इस CAA, या CAB व NRC को लेकर, पक्ष व विपक्ष की राजनीतिक दलों में व्यापक खींचतान है और कुछ विपक्षी पार्टियाँ, अल्पसंख्यक इस विधि के अपनाये जाने पर डर रहे हैं।


इसी कारण पिछले दिनों से CAA और NRC के विरोध में, देश में आंदोलन हुए और आंदोलनकारियों ने हिंसकर होकर, सरकार और पब्लिक सम्पत्ति की तोड़फोड़, बसों और रेल पर पत्थरबाजी, प्राइवेट वाहनों की आगजनी, आपसी झगड़े, गोलीबाजी, पुलिस अधिकारियों पर पत्थरबाजी हुई, जो एक लोकतांत्रिक देश पर, अंतर्राष्टÑीय गरिमा में एक धब्बा है और इन लोगों की मानसिकता को दिखाता है। 


इंडियन पीस मिशन, इंटरनेशनल पीस मिशन का यह मानना है, जब सत्तारूढ पार्टी किसी अधिनियम में संशोधन लाना चाहती है वह राष्टÑ के हित में ही होती है, इसे नियमानुसार लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित किया जाता है। लोकतंत्र हमेशा सर्वानुमति या सर्वसम्मति की बात करता है, क्योंकि यह बहुमत और अल्पमत की लडाई का खेल नहीं बल्कि बहुमत द्वारा अल्पमत को साथ लेने की विधि है क्योंकि सत्ता और विपक्ष दोनों ही आमजनता का प्रतिनिधित्व करते हैं फिर भी जनता ने अगर रोष विरोध करना है, उनके लिए एक अच्छा उपाय, जनादेश है न कि आंदोलन - जनता को चाहिये कि CAA के रूल्स और रेगुलेशन को पढ़ें और बिना समझे, आंतरिक विरोध हिंसा, उपद्रव न फैलायें - यह देश हमारा है, सम्पत्ति हमारी है, सिस्टम हमारा है, इसको तोड़ने और नुक्सान पहचाने से, हमारी ही हानि है।